Tuesday, March 31, 2009

उत्तर भारत औदिच्य ब्राह्मण (व्यास) सभा सम्मलेन

उत्तर भारत औदिच्य ब्राह्मण (व्यास) सभा सम्मलेन प्रत्येक वर्ष की चैत्र चतुर्दशी अमावस्या को पिहोवा (कुरुक्षेत्र) हरियाणा में मनाया जाता है । यह सम्मलेन लगभग 80 वर्ष से आयोजित किया जा रहा है । इस वर्ष यह 25.3.2009 को व्यास धर्मशाला में आयोजित किया गया । धर्मशाला निर्माण से पहले औदिच्य बन्धु बैरागा राम मन्दिर में एकत्रित होते थे । सन 1940 के दिनों में व्यास धर्मशाला का निर्माण हुआ और तभी से इस पूज्य धर्मशाला में लगातार सभा का आयोजन होता आ रहा है । औदिच्य बंधुओं से सम्बंधित सभी जातीय फैसले व विवाह संबंध यहीं तय होते हैं ।




पिहोवा एक प्राचीन धार्मिक स्थल है । प्राचीन काल में यह स्थान सरस्वती नदी के किनारे पर स्थित था । आज भी यहां पर सरस्वती नदी है और इसके किनारे पर मां सरस्वती का प्राचीन मन्दिर है । चैत्र चतुर्दशी व अमावस्या को यहां बहुत बड़ा मेला लगता है । दूर दूर से आए सभी धर्मों के श्रद्धालु सरस्वती नदी में स्नान करते हैं तथा अपने पितरों की तृप्ति व शान्ति के लिए पिंड दान करते हैं । इसी अवसर पर हमारे बुजुर्ग पिहोवा में एकत्रित होते थे ।


यहीं पर कर्तिकाय, भगवान शिव के जयेष्ट पुत्र का आदि काल का प्राचीन मंदिर है । भगवान कर्तिकाय ने अपनी माँ पार्वती से नाराज हो कर अपना शरीर त्याग दिया था । यह कहते हुए कि जो भी स्त्री आज के बाद मेरे दर्शन करेगी वह सात जन्म तक विधवा का जीवन व्यतीत करेगी, उन्होंने शिखा पकड़कर अपनी त्वचा माता को व हड्डियाँ पिता को सौंप दी थी । यह वही प्राचीनतम जगह है जहाँ आज लाखों की संख्या में श्रद्धालु तेल चढाते और पितरों कि आत्मा को शांति पहुंचाते हैं । स्त्रियां आज भी इस मंदिर में नहीं जाती ।



सरस्वती नदी के किनारे पर हजारों वर्ष पुराना विशाल प्रेत पीपल का वृक्ष है । श्रद्धालु इस में पानी देते व कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करते हैं । हर प्रकार की पितृ पीडा यहाँ सरस्वती नदी में नहाने व पिंड दान करने से दूर हो जाती है ।



यहीं पर ब्रह्म्जून नाम से एक जगह है । ब्रह्मा ने यहीं पर सृष्टि का निर्माण किया था ।


प्राची नाम से एक तीर्थ है जहां पर ऋषि विश्वामित्र व वशिष्ठ के झगडे में सरस्वती मैया को विपरीत दिशा में बहाना पड़ा था । पुरानों में इसे पृथोदक नाम से जाना जाता है ।


इसी एतिहासिक व धार्मिक स्थान पर हमारे पूर्वजों ने व्यास धर्मशाला का निर्माण करवाया । हर वर्ष यहाँ चैत्र की त्रयोदश से अमावस्या तक बिरादरी के लोग आते हैं और चौदस को दोपहर 2 बजे मीटिंग होती है ।


हर तीन वर्ष के बाद चुनाव होते हैं ।


उत्तर भारत औदिच्य सभा के उद्देश्य इस प्रकार हैं :



  • बिरादरी भाइयों को आपस में परिचित करना और मेल जोल को बढ़ावा देना ।

  • बिरादरी व समाज के उत्थान के लिए विभिन्न कार्य करना ।

  • बिरादरी में विवाह सम्बन्ध स्थापित करवाना ।

  • व्यास धर्मशाला की देख रेख व निर्माण कार्य करवाना ।

  • बेसहारा व विधवा महिलाओं को सिलाई मशीनें देकर मदद करना ।

  • शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मेधावी छात्रों को पुरस्कृत करना ।

  • गरीब व असहाय रोगियों की मदद करना ।

आप सभी से प्रार्थना है की हर वर्ष इस सम्मलेन में भाग लेने के लिए अवश्य पेहोवा आयें और व्यास सभा के उत्थान के लिए अपना हर प्रकार का सहयोग देकर पुण्य के भागी बनें ।


रहने और खाने की पूरी व्यवस्था सभा द्वारा की जाती है ।


धन्यवाद


प्रद्युमन भार्गव (कुरुक्षेत्र)


(pardumanbhargava53@gmail.com)